भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (PMMVY), देश की गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए एक बेहद जरूरी योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक सहायता देकर उनके स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करना है।
आइए विस्तार से जानते हैं इस योजना के सभी पहलुओं को – पात्रता से लेकर आवेदन प्रक्रिया तक।
योजना क्या है और कब शुरू हुई थी?
मातृत्व वंदना योजना की शुरुआत 1 जनवरी 2017 को भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। योजना को 2025 में अपडेट कर फिर से लागू किया गया है, जिससे लाखों महिलाओं को सीधे लाभ मिल सके।
इस योजना के तहत पहली बार गर्भवती महिला को ₹6000 की वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे वह अपने और अपने बच्चे के पोषण, स्वास्थ्य जांच और दवाओं का खर्च उठा सके।
विवरण | जानकारी |
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योजना का नाम | मातृत्व वंदना योजना (Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana – PMMVY) |
शुरुआत की तारीख | 1 जनवरी 2017 |
अपडेट वर्ष | 2025 |
लाभार्थी | पहली बार गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं |
वित्तीय सहायता राशि | ₹6000 |
लाभ का उद्देश्य | पोषण, स्वास्थ्य जांच और प्रसव पूर्व देखभाल के खर्च में सहायता |
कार्यन्वयन मंत्रालय | महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार |
लाभ का तरीका | लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से |
आवेदन प्रक्रिया | ऑनलाइन / ऑफलाइन (आंगनवाड़ी या हेल्थ सेंटर के माध्यम से) |
योजना की स्थिति (2025) | सक्रिय – अपडेटेड नियमों के साथ पुनः लागू |
योजना का उद्देश्य क्या है?
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना 2025 का मुख्य उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। भारत में प्रसव पूर्व और पश्चात मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए यह योजना एक बेहद अहम कदम है। इसका लक्ष्य है कि मां और नवजात शिशु दोनों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की जाए और उन्हें उचित देखभाल मिले।
इस योजना के विस्तृत उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- पोषण स्तर में सुधार:
गर्भवती महिलाओं को उनके गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के बाद बेहतर पोषण मिल सके, इसके लिए ₹6000 की सहायता दी जाती है। यह राशि महिलाओं के भोजन, दवाओं और आवश्यक देखभाल पर खर्च की जा सकती है। - स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना:
योजना के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि महिलाएं समय पर स्वास्थ्य जांच करवाएं, टीकाकरण लें और अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराएं। इससे नवजात शिशु की मृत्युदर में भी कमी लाई जा सकती है। - कामकाजी महिलाओं के लिए आर्थिक सहयोग:
अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली या बेरोज़गार महिलाएं जो मातृत्व लाभ की अन्य सरकारी योजनाओं के अंतर्गत नहीं आतीं, उन्हें भी इस योजना के तहत सहायता दी जाती है, जिससे वे गर्भावस्था के दौरान काम से विश्राम ले सकें। - मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य की रक्षा:
नवजात शिशु के जन्म के बाद मां को उचित पोषण, आराम और देखभाल मिले ताकि वह स्तनपान करा सके और शिशु को रोगों से बचाया जा सके। यह योजना मातृत्व अवकाश का अप्रत्यक्ष लाभ भी प्रदान करती है।
इस योजना के ज़रिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर महिला को मातृत्व के इस संवेदनशील समय में पर्याप्त सहयोग मिले, जिससे वह न सिर्फ खुद स्वस्थ रह सके, बल्कि एक स्वस्थ और सुरक्षित शिशु को जन्म दे सके।
योजना के लाभ (Benefits)
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना एक केंद्रीय सरकार द्वारा चलाई जा रही सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करके उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित मातृत्व अनुभव दिलाना है। इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:
1. कुल ₹6000 तक की आर्थिक सहायता
योजना के तहत योग्य महिला को ₹6000 की कुल सहायता राशि तीन किस्तों में प्रदान की जाती है:
- पहली किस्त ₹1000 की — गर्भावस्था की पुष्टि के बाद, पंजीकरण कराने पर।
- दूसरी किस्त ₹2000 की — गर्भवती महिला के न्यूनतम एक प्रसव पूर्व जांच पूरी होने के बाद।
- तीसरी किस्त ₹2000 की — बच्चे के जन्म के बाद जब उसने कम से कम एक बार टीकाकरण (BCG, OPV, DPT, Hepatitis B) प्राप्त कर लिया हो।
- अतिरिक्त ₹1000 राशि कुछ विशेष राज्यों या संस्थानों के माध्यम से भी मिल सकती है (जैसे जननी सुरक्षा योजना के साथ समन्वय में)।
2. सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रेरणा
यह योजना महिलाओं को समय पर अस्पताल में जांच और प्रसव कराने के लिए प्रेरित करती है। इससे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलती है।
3. गर्भवती महिलाओं का पोषण सुधारने में सहायता
मिलने वाली राशि का उपयोग महिलाएं संतुलित आहार, जरूरी दवाइयों, स्वास्थ्य सेवाओं और विश्राम के लिए कर सकती हैं, जिससे गर्भावस्था के दौरान उनके पोषण स्तर में सुधार होता है।
4. कामकाजी और असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को राहत
यह योजना विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए लाभकारी है, जिन्हें मातृत्व अवकाश या वेतन नहीं मिलता। उन्हें इस योजना से आर्थिक सुरक्षा मिलती है ताकि वे गर्भावस्था के दौरान कार्य से विश्राम ले सकें।
5. नवजात शिशु की देखभाल सुनिश्चित करना
तीसरी किस्त नवजात शिशु के टीकाकरण के बाद मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बच्चा आवश्यक टीकों से सुरक्षित किया गया है। यह कदम बच्चों में बीमारियों को रोकने की दिशा में अत्यंत प्रभावी है।
6. सरकारी पंजीकरण और हेल्थ रिकॉर्ड को बढ़ावा
महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती चरण में ही आंगनवाड़ी या अस्पताल में पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य की निगरानी सरलता से की जा सके और सरकारी रिकॉर्ड में सुधार हो।
7. योजना की पहुंच डिजिटल और सरल
PMMVY का आवेदन अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकता है। इसके लिए महिलाओं को अपने नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र या सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करना होता है। साथ ही, योजना की निगरानी और ट्रैकिंग की सुविधा भी डिजिटली उपलब्ध है।
8. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
इस योजना के ज़रिए सरकार यह संदेश देती है कि हर महिला का मातृत्व मूल्यवान है और वह हर रूप में सहयोग की हकदार है। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती हैं।
9. पूरी तरह निःशुल्क सुविधा
इस योजना के तहत किसी भी किस्त को पाने के लिए महिलाओं को कोई शुल्क नहीं देना होता। सभी सेवाएं और भुगतान सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं।
10. राष्ट्रीय स्तर पर लागू योजना
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना पूरे भारत में लागू है, चाहे महिला किसी भी राज्य, धर्म, जाति या वर्ग से हो। पात्रता पूरी करने वाली हर महिला इस योजना का लाभ ले सकती है।
लाभ | विवरण |
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💸 ₹6000 की आर्थिक सहायता | पहली बार मां बनने पर दी जाती है |
🏥 स्वास्थ्य जांच में सहूलियत | पोषण और एनीमिया जैसी समस्याओं की समय पर पहचान |
🍽️ पोषण में सुधार | पौष्टिक आहार खरीदने में मदद |
👶 सुरक्षित प्रसव की तैयारी | मानसिक और शारीरिक तौर पर बेहतर तैयारी |
📅 किश्तों में भुगतान | तीन चरणों में लाभ की राशि मिलती है |
कितनी राशि कब मिलती है?
योजना की राशि तीन किश्तों में दी जाती है:
- पहली किश्त ₹1000 – गर्भावस्था की पुष्टि पर
- दूसरी किश्त ₹2000 – गर्भावस्था के छह महीने पूरे होने पर
- तीसरी किश्त ₹3000 – बच्चे के जन्म के बाद, सभी टीकाकरण पूरा करने पर
किश्त संख्या | राशि (₹) | कब मिलती है |
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पहली किश्त | ₹1000 | जब महिला की गर्भावस्था की पुष्टि हो जाती है |
दूसरी किश्त | ₹2000 | जब गर्भावस्था के 6 महीने पूरे हो जाते हैं |
तीसरी किश्त | ₹3000 | बच्चे के जन्म के बाद सभी निर्धारित टीकाकरण पूरे होने पर |
कौन महिलाएं पात्र हैं? (Eligibility Criteria)
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना 2025 का उद्देश्य उन महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है जो पहली बार गर्भवती हैं और अपने पहले जीवित बच्चे को जन्म देने जा रही हैं। पात्रता के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना आवश्यक है:
1. भारतीय नागरिकता अनिवार्य:
योजना का लाभ केवल उन्हीं महिलाओं को मिलेगा जो भारत की नागरिक हों। विदेशी नागरिक, प्रवासी या एनआरआई महिलाओं को इस योजना के तहत लाभ नहीं मिलेगा।
2. पहली बार गर्भवती महिला:
इस योजना का लाभ सिर्फ पहली बार गर्भवती महिलाओं को ही मिलेगा। यदि पहले से कोई जीवित बच्चा है, तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
3. गर्भावस्था की पुष्टि:
महिला की गर्भावस्था की पुष्टि आशा कार्यकर्ता, एएनएम (ANM) या किसी सरकारी अस्पताल/चिकित्सक द्वारा होनी चाहिए। निजी क्लिनिक की रिपोर्ट तब मान्य होगी जब उसे सरकारी स्तर पर सत्यापित किया गया हो।
4. पंजीकरण अनिवार्य:
महिला को गर्भावस्था के पहले 3 महीनों (पहली तिमाही) के भीतर ही सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकरण कराना होगा। देर से पंजीकरण करने पर योजना का लाभ नहीं मिल सकता।
5. आय सीमा की कोई बाध्यता नहीं:
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कोई आय प्रमाण पत्र या आय सीमा की बाध्यता नहीं रखी गई है। यह सभी वर्गों की महिलाओं के लिए खुली है, चाहे वे गरीबी रेखा के नीचे (BPL) हों या सामान्य श्रेणी में आती हों।
6. शहरी और ग्रामीण – दोनों क्षेत्रों की महिलाएं पात्र:
यह योजना ग्रामीण और शहरी – दोनों क्षेत्रों की महिलाओं के लिए समान रूप से लागू है। कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
7. सरकारी व निजी नौकरीपेशा महिलाएं:
ऐसी महिलाएं जो केंद्र या राज्य सरकार की सेवा में हैं और मातृत्व लाभ (Maternity Benefit) किसी अन्य माध्यम से प्राप्त कर रही हैं, वे इस योजना की पात्रता से बाहर हो सकती हैं। हालांकि, निजी नौकरीपेशा महिलाएं, अगर अन्य कोई मातृत्व लाभ नहीं ले रही हैं, तो इस योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकती हैं।
8. आधार कार्ड होना अनिवार्य:
आवेदन के समय महिला के पास आधार कार्ड, बैंक खाता और मोबाइल नंबर होना अनिवार्य है। आधार नंबर के बिना आवेदन अपूर्ण माना जाएगा।
जरूरी दस्तावेज़ क्या हैं? (Required Documents)
- आधार कार्ड
- गर्भावस्था प्रमाण पत्र (ANM/आशा कार्यकर्ता द्वारा)
- बैंक पासबुक की कॉपी
- मोबाइल नंबर
- जन्म प्रमाण पत्र (बच्चे के जन्म के बाद तीसरी किश्त के लिए)
- टीकाकरण प्रमाण पत्र (तीसरी किश्त के लिए)
आवेदन कैसे करें? (ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया)
✅ ऑनलाइन आवेदन
- https://pmmvy-cas.nic.in पर जाएं
- ‘नया पंजीकरण’ पर क्लिक करें
- आधार नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करें
- मां और बच्चे की जानकारी भरें
- दस्तावेज़ अपलोड करें
- सबमिट करें और एप्लिकेशन ID नोट करें
ऑफलाइन आवेदन
- अपने नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र या सरकारी अस्पताल जाएं
- वहां से फॉर्म प्राप्त करें
- सभी जानकारी भरें और दस्तावेज़ संलग्न करें
- ANM/आशा कार्यकर्ता से सत्यापन करवाएं
- जमा करें और रसीद लें
योजना की विशेषताएं (Highlights)
क्रमांक | विशेषता | विवरण |
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1 | नकद सहायता द्वारा पोषण सुधार | कुल ₹6000 की राशि तीन किश्तों में दी जाती है, जिससे गर्भावस्था में पोषण और स्वास्थ्य सुधारा जाए। |
2 | केंद्र और राज्य सरकारों की भागीदारी | केंद्र सरकार की योजना है, लेकिन कुछ राज्यों में राज्य सरकारें भी इसके क्रियान्वयन में भाग लेती हैं। |
3 | पारदर्शी और डिजिटल प्रक्रिया | आवेदन से लेकर भुगतान तक की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी है। |
4 | महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा | योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने, निर्णय लेने और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करती है। |
5 | सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य का संयोजन | महिला और शिशु दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है; मातृ मृत्यु दर कम करने की दिशा में पहल। |
6 | नियमित स्वास्थ्य जांच का प्रोत्साहन | महिलाओं को समय-समय पर स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण करवाने के लिए प्रेरित किया जाता है। |
7 | सभी वर्गों के लिए समान अवसर | योजना जाति, धर्म, क्षेत्र या वर्ग का भेद नहीं करती — सभी योग्य महिलाओं को लाभ मिलता है। |
योजना से जुड़े आंकड़े (2025 अपडेट)
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां दर्ज की गई हैं। खासकर 2025 में इस योजना को लेकर जो अपडेट सामने आए हैं, वे इस योजना के प्रभाव को और भी स्पष्ट करते हैं।
बिंदु | 2025 अपडेट विवरण |
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लाभार्थियों की संख्या | 3 करोड़+ महिलाओं को अब तक प्रत्यक्ष लाभ मिला |
वर्ष 2025 का बजट | ₹1,500 करोड़ से अधिक आवंटित – पिछली तुलना में बढ़ोतरी |
फोकस क्षेत्र | टियर-2 और टियर-3 शहरों में विशेष अभियान – जागरूकता और आवेदन प्रक्रिया को प्रोत्साहन |
नया मोबाइल ऐप | 2025 में लॉन्च – आवेदन की स्थिति, भुगतान और अपडेट्स को ट्रैक करने की सुविधा |
डिजिटल वेरिफिकेशन सुधार | आधार आधारित वेरिफिकेशन अब और तेज़ व आसान – आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता |
राज्यवार प्रदर्शन | सबसे बेहतर प्रदर्शन: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ |
प्रभाव का स्तर | योजना ने ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों तक पहुंच बनाकर सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाया है। |
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि मातृत्व वंदना योजना 2025 में पहले से अधिक संगठित, पारदर्शी और लाभकारी बन चुकी है। इसके पीछे केंद्र सरकार की योजनाबद्ध नीतियां और तकनीकी नवाचारों का बड़ा योगदान है।
योजना क्यों जरूरी है?
भारत में मातृ मृत्यु दर (MMR) अब भी कई ग्रामीण इलाकों में अधिक है। कुपोषण, समय पर जांच की कमी और आर्थिक तंगी इसकी बड़ी वजह हैं। यह योजना इन समस्याओं का समाधान करने में मदद करती है।
एक अध्ययन के अनुसार, जिन महिलाओं को समय पर वित्तीय मदद और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं, उनमें जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत बेहतर होती है।
जरूरत का पहलू | समस्या | योजना कैसे मदद करती है |
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1. मातृ मृत्यु दर (MMR) | ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी मातृ मृत्यु दर अधिक है। | योजना पोषण, स्वास्थ्य जांच और देखभाल को बढ़ावा देती है, जिससे MMR में कमी लाई जा सके। |
2. कुपोषण | गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार की कमी महिला और शिशु दोनों को प्रभावित करती है। | ₹6000 की नकद सहायता से गर्भवती महिला बेहतर आहार ले सकती है। |
3. समय पर स्वास्थ्य जांच | जांच में देरी से जटिलताएं बढ़ती हैं, जो मां और बच्चे के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है। | किश्तों से जुड़ी शर्तें समय पर जांच को प्रोत्साहित करती हैं। |
4. आर्थिक तंगी | कई महिलाएं इलाज और देखभाल का खर्च नहीं उठा पातीं। | डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए आर्थिक सहयोग दिया जाता है। |
5. जागरूकता की कमी | कई महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल और पोषण की जानकारी नहीं होती। | योजना के ज़रिए स्वास्थ्य जागरूकता अभियान और काउंसलिंग को बढ़ावा दिया जाता है। |
6. अध्ययन के निष्कर्ष | रिसर्च बताती है कि समय पर सहायता मिलने से जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। | यह योजना शोध आधारित हस्तक्षेप को व्यवहार में लाती है, जिससे सामाजिक स्वास्थ्य सुधरता है। |
योजना से जुड़ी सावधानियां
1. गलत जानकारी देने पर आवेदन निरस्त हो सकता है:
अगर कोई महिला आवेदन पत्र में झूठी या भ्रामक जानकारी देती है, जैसे कि पहले से किसी अन्य योजना का लाभ ले रखा हो, पहले से बच्चा हो लेकिन पहली बार गर्भवती होने का दावा किया हो, या गलत दस्तावेज़ संलग्न किए हों – तो ऐसे मामलों में आवेदन तुरंत रद्द कर दिया जाता है। इसके अलावा, भविष्य में किसी भी सरकारी योजना का लाभ मिलने में भी दिक्कत आ सकती है।
2. सभी दस्तावेज़ों की सत्यता जांची जाती है:
योजना के तहत लाभ देने से पहले सरकारी अधिकारी आवेदनकर्ता द्वारा दिए गए सभी दस्तावेज़ों की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल करते हैं। आधार कार्ड, गर्भावस्था प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकरण आदि सभी चीजें जांची जाती हैं। अगर इनमें से कोई भी दस्तावेज़ गलत पाया गया, तो पूरा आवेदन खारिज हो सकता है।
3. एक महिला को केवल एक बार इस योजना का लाभ मिलता है:
यह योजना केवल पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं के लिए है। यानी, जिन महिलाओं ने पहले कभी इस योजना का लाभ लिया है, वे दोबारा इस योजना के लिए पात्र नहीं मानी जाएंगी। यह सुनिश्चित करता है कि योजना का लाभ जरूरतमंद और पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं तक ही पहुंचे।
4. तीसरी किश्त के लिए सभी टीकाकरण प्रमाणित होना जरूरी है:
योजना की तीसरी और अंतिम किश्त तभी मिलती है जब बच्चे के सभी आवश्यक टीकाकरण पूरे हो जाएं और इसकी जानकारी प्रमाणित दस्तावेज़ों के साथ पोर्टल पर अपलोड की जाए। अगर कोई टीकाकरण छूट गया हो या समय पर नहीं हुआ हो, तो किश्त रोक दी जाती है। इसलिए सभी टीके समय पर लगवाना और उसका रिकॉर्ड संभालकर रखना बहुत जरूरी है।
5. आवेदन की स्थिति को समय-समय पर चेक करना जरूरी:
कई बार दस्तावेज़ों में त्रुटि या तकनीकी कारणों से आवेदन लंबित रह जाता है। ऐसे में महिला को खुद या आशा वर्कर की मदद से योजना की वेबसाइट या ऐप पर जाकर अपनी आवेदन स्थिति नियमित रूप से चेक करते रहना चाहिए।
6. बैंक खाता सही और आधार से लिंक होना चाहिए:
जो बैंक खाता योजना के अंतर्गत दिया गया है, वह महिला के नाम पर होना चाहिए और आधार से लिंक होना अनिवार्य है। कई बार लाभ की राशि फेल ट्रांजैक्शन के कारण वापस चली जाती है, जिससे लाभ मिलने में देरी होती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मातृत्व वंदना योजना 2025 महिलाओं को न सिर्फ आर्थिक सहायता देती है बल्कि उनके स्वास्थ्य और बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने का मजबूत माध्यम भी है। अगर आप या आपके परिवार की कोई महिला पहली बार गर्भवती है, तो इस योजना का लाभ जरूर उठाएं।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. क्या दूसरी बार गर्भवती महिला को भी इस योजना का लाभ मिलेगा?
नहीं, यह योजना केवल पहली बार गर्भवती महिलाओं के लिए है। योजना का उद्देश्य पहले बच्चे के जन्म के समय महिला और शिशु के पोषण को बेहतर बनाना है। दूसरी या तीसरी बार गर्भवती होने पर यह लाभ नहीं मिलता।
Q2. अगर महिला का पहले गर्भपात हो चुका है तो क्या वह योजना के लिए पात्र है?
अगर पहले कोई जीवित संतान नहीं है और यह पहली सफल गर्भावस्था है, तो महिला योजना के तहत पात्र मानी जा सकती है। हालांकि, स्थिति की पुष्टि डॉक्टर और आशा कार्यकर्ता द्वारा होनी चाहिए।
Q3. क्या किराए के मकान में रहने वाली महिलाएं भी योजना का लाभ ले सकती हैं?
हाँ, यदि महिला भारत की नागरिक है और अन्य पात्रता शर्तें पूरी करती है, तो वह योजना के लिए आवेदन कर सकती है, चाहे वह किराए पर रहती हो या अपने मकान में।
Q4. क्या योजना में आधार कार्ड अनिवार्य है?
हाँ, आधार कार्ड एक महत्वपूर्ण पहचान पत्र है और योजना में आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज़ों में से एक है।
Q5. यदि जन्म प्रमाण पत्र खो जाए तो क्या लाभ नहीं मिलेगा?
बच्चे के जन्म के बाद तीसरी किश्त पाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र ज़रूरी होता है। अगर खो गया है, तो निकटतम नगरपालिका कार्यालय या पंचायत से डुप्लीकेट सर्टिफिकेट प्राप्त करें।
Q6. योजना में आवेदन करने के कितने दिन बाद पैसा खाते में आता है?
तीनों किश्तें अलग-अलग चरणों में मिलती हैं – पहली गर्भावस्था के रजिस्ट्रेशन पर, दूसरी टीकाकरण के बाद और तीसरी बच्चे के जन्म के बाद। सामान्यतः हर चरण के 30-45 दिनों के भीतर भुगतान होता है।
Q7. योजना का फॉर्म कहां से मिलेगा और कौन भरेगा?
फॉर्म नजदीकी सरकारी अस्पताल, आंगनबाड़ी केंद्र, या आशा कार्यकर्ता से प्राप्त किया जा सकता है। इसे स्वयं या आशा दीदी की सहायता से भरा जा सकता है।
Q8. क्या निजी अस्पताल में रजिस्ट्रेशन कराने वाली महिलाएं भी योजना के लिए पात्र हैं?
यदि निजी अस्पताल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है और योजना के पोर्टल पर रजिस्टर्ड है, तो वहाँ रजिस्ट्रेशन कराने वाली महिलाएं भी पात्र हो सकती हैं। अन्यथा सरकारी अस्पताल में रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
Q9. योजना से संबंधित अपडेट और भुगतान की स्थिति कैसे चेक करें?
महिला और बाल विकास मंत्रालय के PMMVY पोर्टल पर जाकर आधार संख्या और मोबाइल नंबर से लॉगिन करके स्टेटस चेक किया जा सकता है। अब एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है जिससे ट्रैकिंग और आसान हो गई है।