नई दिल्ली, अगस्त 2025 – भारत में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक ऐतिहासिक आँकड़ा सामने आया है। नवीनतम UDISE+ (Unified District Information System for Education) रिपोर्ट 2025 के अनुसार, देश में स्कूल शिक्षकों की संख्या अब 1 करोड़ से अधिक हो गई है। यह उपलब्धि भारत को दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल करती है जहाँ शिक्षा क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक कार्यरत हैं।
यह रिपोर्ट भारत की शिक्षा प्रणाली की बदलती तस्वीर और सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को दर्शाती है। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह माइलस्टोन न केवल शिक्षा तक पहुंच को दर्शाता है बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
UDISE+ रिपोर्ट क्या है?
UDISE+ (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस) एक वार्षिक डेटा रिपोर्ट है जिसे शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है।
- इसकी शुरुआत 2012-13 में की गई थी।
- यह रिपोर्ट पूरे देश के स्कूलों, छात्रों और शिक्षकों से संबंधित आँकड़े प्रस्तुत करती है।
- रिपोर्ट में नामांकन दर, छात्र-शिक्षक अनुपात, बुनियादी ढाँचा, लड़कियों की शिक्षा, ड्रॉपआउट दर और शिक्षकों की संख्या जैसी जानकारी होती है।
1 करोड़ शिक्षकों तक पहुँचना क्यों ऐतिहासिक है?
भारत जैसे विशाल देश में जहाँ छात्रों की संख्या लगभग 26 करोड़ से अधिक है, वहाँ शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना एक चुनौती रहा है।
1 करोड़ शिक्षक उपलब्ध होने से –
- छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) में सुधार होगा।
- गाँव और छोटे कस्बों में भी पर्याप्त शिक्षक मिल सकेंगे।
- बच्चों को व्यक्तिगत ध्यान मिलेगा।
- शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार होगा।
भारत में शिक्षक वितरण – शहरी और ग्रामीण
UDISE+ रिपोर्ट के अनुसार –
- लगभग 70% शिक्षक ग्रामीण इलाकों में कार्यरत हैं।
- 30% शिक्षक शहरी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी है, विशेषकर गणित और विज्ञान में।
महिला शिक्षकों की बढ़ती भागीदारी
इस रिपोर्ट में एक और सकारात्मक पहलू सामने आया है – महिला शिक्षकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी।
- कुल शिक्षकों में से लगभग 48% महिला शिक्षक हैं।
- प्राथमिक शिक्षा स्तर पर यह संख्या और भी अधिक है।
- महिला शिक्षकों की उपस्थिति से खासकर लड़कियों की शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
सरकार की प्रमुख योजनाएँ जिनसे शिक्षक संख्या बढ़ी
- समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) – शिक्षकों की भर्ती और प्रशिक्षण पर ज़ोर।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) – बेहतर शिक्षक-छात्र अनुपात और स्किल-आधारित शिक्षा पर फोकस।
- ऑनलाइन पोर्टल्स (DIKSHA, SWAYAM) – शिक्षकों के प्रशिक्षण और छात्रों के लिए डिजिटल सामग्री।
- कॉन्ट्रैक्ट और गेस्ट टीचर भर्ती – कमी को पूरा करने के लिए अस्थायी भर्ती।
चुनौतियाँ अब भी मौजूद
हालाँकि शिक्षकों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन कुछ समस्याएँ अभी भी बरकरार हैं –
- ग्रामीण इलाकों में विषय विशेषज्ञों की कमी।
- ड्रॉपआउट दर अब भी चिंता का विषय है।
- कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं (लैब, लाइब्रेरी, इंटरनेट) की कमी।
- शिक्षकों का प्रशिक्षण स्तर हर राज्य में समान नहीं।
छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) – बेहतर लेकिन सुधार की ज़रूरत
भारत में औसतन PTR अब 26:1 हो गया है, यानी एक शिक्षक पर 26 छात्र।
- शहरी इलाकों में PTR लगभग 20:1 है।
- ग्रामीण इलाकों में यह 30:1 तक पहुँच जाता है।
यूनिसेफ और यूनेस्को के मानकों के अनुसार, आदर्श PTR 20:1 होना चाहिए।
शिक्षा में डिजिटलीकरण – शिक्षकों की नई भूमिका
कोविड-19 महामारी के बाद शिक्षा क्षेत्र में डिजिटलीकरण तेज हुआ। अब शिक्षक केवल ब्लैकबोर्ड तक सीमित नहीं हैं, बल्कि –
- ऑनलाइन कक्षाएँ,
- डिजिटल कंटेंट निर्माण,
- ई-लर्निंग पोर्टल्स का उपयोग कर रहे हैं।
शिक्षकों की नई भूमिका में डिजिटल ट्रेनिंग अहम हो गई है।
राज्यों के हिसाब से स्थिति
- उत्तर प्रदेश और बिहार – सबसे अधिक शिक्षक, लेकिन PTR अब भी अधिक।
- केरल और तमिलनाडु – उच्च शिक्षा गुणवत्ता और कम PTR।
- राजस्थान और मध्य प्रदेश – महिला शिक्षकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
- उत्तर-पूर्वी राज्य – डिजिटल शिक्षा तेजी से बढ़ रही है।
विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि –
- शिक्षकों की संख्या में वृद्धि स्वागत योग्य है।
- अब ध्यान क्वालिटी टीचिंग और नियमित ट्रेनिंग पर होना चाहिए।
- डिजिटल और स्किल-आधारित शिक्षा ही भविष्य है।
आने वाले सालों में लक्ष्य
शिक्षा मंत्रालय ने अगले पाँच सालों में ये लक्ष्य तय किए हैं –
- छात्र-शिक्षक अनुपात को 20:1 तक लाना।
- हर स्कूल में ICT लैब और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराना।
- शिक्षकों के लिए वार्षिक ट्रेनिंग अनिवार्य करना।
- ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में 100% विषय विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध कराना।
निष्कर्ष
भारत का 1 करोड़ शिक्षक माइलस्टोन शिक्षा क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि है। यह केवल संख्या का आँकड़ा नहीं बल्कि शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता दोनों में सुधार का प्रतीक है। हालाँकि चुनौतियाँ अब भी हैं, लेकिन अगर सरकार और समाज मिलकर काम करें तो भारत दुनिया की सबसे मजबूत शिक्षा प्रणाली बन सकता है।